Answer :
उपरोक्त कथन सोलहों आने सत्य है। साहस और शक्ति हमें उपर वाले से मिला उपहार है। इस उपहार को विनम्रता ही संजोकर रखती है। कहने का अर्थ है हमारे अन्दर साहस का होना, हमारा शक्तिशाली होना हमारा नैसर्गिक गुण या हमारी प्रकृति या स्वभाव के अन्तर्गत हमें मिला होता है जबकि हमारी विनम्रता हमारे इस अनमोल धन को सुरक्षित रखती है और उसे पूंजी बनाती है या यूं कहें उसे भविष्य में काम आने लायक बनाती है। बिना विनम्रता के हमारा साहस और हमारी शक्ति एक बेलगाम घोड़े के समान है। इसलिए हम ऐसा भी कह सकते हैं कि साहस और शक्ति नामक घोड़े की लगाम विनम्रता नामक डोर से ही नियंत्रित की जा सकती है। विनम्रता के बिना सिर्फ साहस और शक्ति के बल पर हम अनियंत्रित होकर अपना बुरा ही कर सकते हैं। इसलिए साहस और शक्ति के मिष्ठान का आनंद विनम्रता की चाशनी में लपेटकर ही लिया जा सकता है।
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