Answer :
(क) पढ़ने की घटती प्रवृत्ति -ज्ञान की कोई सीमा नहीं है। अगर हम अधिक से अधिक ज्ञान अर्जित कर लेते हैं तो भी हम तृप्त नहीं हो सकते क्यों कि ज्ञान की कोई पराकाष्ठा नहीं है। अध्ययन से हमें अनुभव एवं सूचना के रूप में ज्ञान प्राप्त होता है। दुर्भाग्यवश हमारे यहां भारत में पढ़ने की आदत बहुत कम है।
कारण और हानि-एक बार प्रसिद्ध भारतीय लेखक श्री मूल राज आनंद से यह प्रश्न पूछा गया कि हमारे देश में लोगों में अध्ययन की आदत कम होने के क्या कारण हैं तो उनका जवाब था कि भारत में एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक ज्ञान का मौखिक सम्प्रेषण है। पाणिन्य शिक्षा का दावा है कि जिन्होंने लिखित पुस्तकों से पढ़ा वह ज्ञान के जिज्ञासुओं में सबसे निम्न स्तर पर थे।
पढ़ने की आदत से लाभ-परीक्षा की तैयारी के लिये विद्यार्थी उत्तम कोटि की पाठय पुस्तकों की अपेक्षा सस्ती एवं अधिक तनूकृत पुस्तकों से अध्ययन करते हैं। शिक्षण में विद्यार्थियों के आत्मसुधार एवं आत्मविकास पर बल देना चाहिये ताकि वह आने वाले जीवन के लिये तैयार हो सकें। आत्मसुधार के लिये पुस्तको से प्रेम एवं अध्ययन परम आवश्यक है। अध्ययन के लिये अच्छी पुस्तकों का चयन आवश्यक है। दुर्भाग्यवश बच्चों एवं व्यस्कों के लिये पुस्तकों का अभाव है।
ख) कम्प्यूटर हमारा मित्र
•क्या है
•विद्यार्थियों के लिए उपयोग
•सुझाव
क्या है-आधुनिक तकनीक की महान खोज है कम्प्यूटर। ये एक सामान्य मशीन है जो अपनी मेमोरी में ढ़ेर सारे डाटा को सुरक्षित रखने की दक्षता रखता है। ये इनपुट (जैसे की-बोर्ड) और आउटपुट(प्रिंटर) के इस्तेमाल से काम करता है। ये इस्तेमाल करने में बेहद आसान है इसलिये कोई बच्चा भी इसपर काम कर सकता है। ये बहुत ही भरोसेमंद है जिसे हम अपने साथ रख सकते है और कहीं भी और कभी भी प्रयोग कर सकते है।
विद्यार्थियों के लिए उपयोग-भावी पीढ़ी के कंप्यूटर के उपयोग में और भी प्रभावी होगी साथ ही कार्यात्मक क्षमता भी बढ़ती चली जाएगी। इसने हम सबके जीवन को आसान बना दिया है। इसके माध्यम से हम कुछ भी आसानी से सीख सकते है तथा अपने हुनर को और निखार सकते है। हमलोग चुटकियों में किसी भी सेवा, उत्पाद या दूसरी चीजों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते है। कंप्यूटर में लगे इंटरनेट के द्वारा हम कुछ भी खरीदारी कर सकते है जिसकी घर में बैठे-बैठे मुफ्त डिलिवरी प्राप्त कर सकते है। इससे हमारे स्कूल प्रोजेक्ट में भी खूब मदद मिलती है।
सुझाव-अपने पेशेवर जीवन में विद्यार्थीयों की सुगमता के साथ ही कौशल में निखार के लिये स्कूल, कॉलेज, और दूसरे शिक्षण संस्थानों में भारत सरकार द्वारा कंप्यूटर शिक्षा को अनिवार्य बना दिया गया है। आज के आधुनिक समय की नौकरियों के लिये कंप्यूटर सीखना जरुरी बनता जा रहा है। इसमें दक्ष होने के लिये उच्च शिक्षा में नेटवर्क एडमिनिस्ट्रेशन, हार्डवेयर मेंटेनेंस, सॉफ्टवेयर इंस्टॉलेशन आदि विषय जुड़े हुये है।
ग) स्वास्थ्य की रक्षा
• आवश्यकता
• पोषक भोजन
• लाभकारी सुझाव
आवश्यकता-स्वास्थ्य को सबसे बड़ा धन कहा गया है । यदि रुपया-पैसा हाथ से निकल जाए तो उसे पुन: प्राप्त किया जा सकता है। परंतु एक बार स्वास्थ्य बिगड़ जाए तो उसे पुरानी स्थिति में लाना बहुत कठिन होता है। इसीलिए समझदार लोग अपने स्वास्थ्य की हिफाजत मनोयोगपूर्वक करते हैं। अच्छा स्वास्थ्य जीवन के समस्त सुखों का आधार है। धन से वस्तुएँ खरीदी जा सकती हैं परंतु उनका उपभोग अच्छे स्वास्थ्य पर निर्भर करता है।
पोषक भोजन-अच्छे स्वास्थ्य की कामना करनेवाले बहुत हैं परंतु उसके लिए जागरूक होकर प्रयत्न करने वाले थोड़े ही हैं। केवल कल्पना करने से स्वास्थ्य को बनाए नहीं रखा जा सकता। इसके लिए सतत् चेष्टा एवं प्रयास करना पड़ता है। अच्छा एवं संतुलित आहार नियमित दिनचर्या और नियमित व्यायाम स्वास्थ्य को बनाए रखने के तीन मूलभूत तत्व हैं। भोजन में फल, अनाज, सब्जी और दूध का समन्वय होना चाहिए। फल, हरी ताजी सब्जियाँ, अंकुरित अनाज तथा दूध की कुछ-न-कुछ मात्रा प्रतिदिन लेने से व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है। साथ ही बासा, बाजारू, अधिक तला- भुना और मैदे की अधिक मात्रा वाला भोजन मानव-स्वास्थ्य के प्रतिकूल होता है। आजकल बच्चे एवं युवा फास्ट फूड की तरफ अधिक आकर्षित हो रहे हैं।
लाभकारी सुझाव-स्वास्थ्य को बनाए रखने में नियमित दिनचर्या का बहुत महत्त्व है। यह व्यक्ति को तनाव से दूर रखता है। चूंकि शरीर एक मशीन की भांति कार्य करता है इसलिए यह नियमितता आवश्यक है| यह चाहता है कि इसके साथ किसी प्रकार की अति न की जाए। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को एक नियमित दिनचर्या बनानी चाहिए और उसका पालन भी करना चाहिए। इस दिनचर्या में शरीर और मन को तनावमुक्त रखने वाले क्रियाकलापों को उचित स्थान देना चाहिए।
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