Answer :
(क) ‘आग रोटियाँ सेंकने के लिए है जलने के लिए नहीं।’ इस पंक्ति के द्वारा मां ने बेटी को समझाया है कि कुछ लड़कियां ससुराल के वातावरण में इतनी दुखी हो जाती है कि कि खुद को आग के हवाले कर देती हैं। परिस्थितियों का साहस पूर्वक सामना ना कर पाने की वजह से वे ऐसा कदम उठाती हैं| लड़कियों को अपने आप को कमजोर नहीं समझना चाहिए| आग रोटियाँ सकने के लिए होती हैं न कि जलने के लिए|
(ख) कवि कहता है कि छाया को नहीं छूना चाहिए| यहाँ छाया अतीत की स्मृतियों को कहा गया है| कवि का ‘छाया मत छूना’ से अभिप्राय है कि हमें अपने अतीत की स्मृतियों को भूल जाना चाहिए| उनको बार-बार याद करना अपने दुःख को दोगुना करना है| अतीत की स्मृतियों का वर्तमान में कोई अस्तित्व नहीं है| हमें अपने वर्तमान पर ध्यान देना चाहिए और अतीत को भूल जाना चाहिए|
(ग) इन पंक्तियों में कवि कहता है कि उस बच्चे के निश्छल चेहरे में वह जादू है उसे छू लेने से बांस या बबूल से भी शेफालिका के फूल झड़ने लगते हैं।
(घ) पाथेय शब्द का अर्थ है-सहारा। कवि के लिए किसी के लिए गहरा प्रेम भाव था। मन में यादें थीं जो उसके जीवन जीने का आधार बनी हुई थीं। इन यादों को वह दूसरों के सामने लाना चाहता था और इन यादों को अपने से दूर नहीं करना चाहता था।
(ड.) लक्ष्मण ने परशुराम को वीर योद्धाओं की निशानियां बताते हुए कहा कि वीर योद्धा वीरता की बेकार की डींगे नहीं हांकता और न ही अपने शत्रु को अपशब्द बोलता है| वह युद्ध भूमि में कभी अपने धैर्य को नहीं छोड़ता| वह अपनी वीरता का प्रदर्शन शत्रु से युद्ध करके करता है|
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