Answer :
(क) शिष्या ने एक दिन खां साहब से कहा कि आप अद्वितीय प्रतिभा के धनी हैं और आपको इस प्रतिभा के कारण भारतरत्न भी मिल चुका है। अब तो यह फटी तहमद ना पहना करें, अच्छा नहीं लगता| इतने प्रतिष्ठित व्यक्ति का फटे कपड़े पहनना उचित नहीं है|
(ख) खां साहब ने शिष्या से कहा यह भारत रत्न हमें शहनाई बजाने में मिला है। लुंगिया पहनने में नहीं। तुम लोग बनाव श्रृंगार देखते रहते हो। अगर ऐसा करता तो हो चुकती शहनाई। उनका कहने का तात्पर्य था कि प्रतिभा महत्वपूर्ण होती हैं न कि पहनावा|
(ग) इससे पता चलता है कि खां साहब बहुत ही साधारण व्यक्ति थे| बनावट या यूं कहे कि दिखावा उन्हें बिल्कुल भी पसंद नहीं था| उन्हें शहनाई बजाने का शौक था| वह अपने इस काम के प्रति बहुत गंभीर थे| वे अत्यंत सरल स्वभाव के व्यक्ति थे|
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