Answer :
क्रोध एवं मुसकान दो परस्पर विपरीत भाव हैं| मुसकान की मधुरता में चित्त की प्रसन्नता या कहें आंतरिक ख़ुशी अभिव्यक्त होती है| हम किसी दूसरे व्यक्ति की प्रसन्नता देखकर स्वयं भी खुश हो जाते हैं| सरल भाषा में कहें तो मुसकान मन की प्रसन्नता, लोगों के प्रति प्रेम एवं अपनत्व को प्रकट करने का एक तरीका है जबकि क्रोध इसके विपरीत अप्रसन्नता, अशांति को प्रकट करने का एक तरीका है| क्रोध से आपसी संबंध तनावपूर्ण हो जाते हैं, हम दूसरों को अप्रसन्न कर देते हैं, उन्हें दुःख पहुँचाते हैं|
इस प्रकार से कहें तो मुसकान एवं क्रोध दो विपरीतार्थक भाव हैं और इनकी अभिव्यक्ति से विपरीतार्थक माहौल का निर्माण होता है|
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