Answer :
1. मेरे विचार से हमारे महान विद्वानों ने जिस तरह के सपनों का भारत देखा था वो सच्चाई और ईमानदारी की बुनियाद पर टिका हुआ था। वो एक ऐसा देश है जहां विभिन्न धर्म और जाति के लोग एक साथ मिलजुलकर रह सकते थे। वहां लोगों में ईर्ष्या या द्वेष का नहीं बल्कि समानता और एकता का भाव था। चोरी, डकैती, लूटमार, पाखंड और तानाशाही के अभाव ने एक ऐसे राष्ट्र की कल्पना की जा सकती है। सपनों के उस भारत में हम लोगों के बीच आपसी भाईचारे और अपनेपन का एहसास देख सकेंगे।
2. मेरे सपनों का भारत असमानता, जाति-प्रथा और अनैतिकता से मुक्त होना चाहिए। वह एक ऐसा राष्ट्र होना चाहिए जहां लोगों को रोजगार और शिक्षा का पूरा अधिकार हो। जहां लोग स्वस्थ भी हों और शिक्षित भी। इंसानों के बीच आपसी भाईचारा हो। आतंकवाद और सांप्रदायिकता से मुक्त होना चाहिए। देश के नौजवानों के कदम नशाखोरी और बेईमानी की बजाए संपन्नता और समृद्धि की तरफ बढ़ रहे हों।
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