Answer :
बालगोबिन भगत की दिनचर्या का प्रत्येक कार्य आर्श्चजनक होता था। क्यों कि -
(क) गृहस्त जीवन में रहते हुए उन्होंने साधुता को कभी नहीं छोड़ा।
(ख) भूलकर भी दूसरे की वस्तु बिना पूछे प्रयोग नहीं करते थे।
(ग) भोर में ही नित्य दो मील दूर जाकर नदी-स्नान कर लौटना हमेशा की तरह दिनचर्या में था। शरद ऋतु में नदी में नहाकर पोखर पर टेर लगाते देखकर लोगों को आश्चर्य होता था।
(घ) दाँत किटकिटाने वाली ठंड में टेर लगाते, खँजड़ी बजाते समय उनके माथे से श्रमबिंदु चमक उठते थे।
(च) उपवास रखकर भी पैदल ही तीस कोस दूर गंगा स्नान पर जाते थे और रास्ते में बिना कुछ खाए घर लौटते थे।
(छ) मरणासन्न स्थिति में भी वही जवानी वाली आवाज, वही नियम, लोगों को अवाक् किए बिना नहीं रहते थे।
(ज) विपरीत परिस्थिति होने के बाद भी उनकी दिनचर्या में कोई परिवर्तन नहीं आता था।
(झ) एक वृद्ध के रूप में अपने कार्य के प्रति उनकी सजगता को देखकर लोग दंग रह जाते थे।
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